- 'मेरे देश की धरती सोना उगले...' जैसे देशभक्ति गीत लिखकर अमर हो गये गीतकार गुलशन बावरा का 12 अप्रैल को 81वां जन्मदिन है। उन्होंने अपनी गीत लेखन और अभिनय कला से हिन्दी फिल्म जगत की 49 साल सेवा की थी। इस दौरान उन्होंने 250 गीत लिखे। उनके द्वारा लिखे भावपूर्ण गीत आज की युवा पीढ़ी में भी प्रासंगिक बने हुए हैं, जो लोगों की जुबां पर आज भी सुने जा सकते हैं।
जीवन परिचय:—
- गुलशन बावरा का जन्म अविभाजित भारत के लाहौर के पास शेखुपूरा (अब पाकिस्तान में) नामक स्थान पर 12 अप्रैल, 1937 को हुआ था। उनका वास्तविक नाम गुलशन मेहता था। उन्हें 'बावरा' उपनाम फिल्म वितरक शांतिभाई पेटल ने दिया था, जो बाद में गुलशन बावरा के नाम से जाना जाने लगा।
- उनकी मां विद्यावती एक धार्मिक प्रवृति की महिला थी जो संगीत में रूचि रखती थी। बालक गुलशन भी मां के साथ धार्मिक कार्यक्रमों में जाते थे। इससे उनके दिमाग में संगीत के प्रति भावना जाग्रत हुई।
- लेकिन उन पर देश विभाजन के दौरान पहाड़ सा आ टूटा जब उन्होंने अपनी आंखों के सामने अपने माता—पिता को दंगाइयों ने मौत के घाट उतार दिया। दुख और अपनों को खोने के गम में वे अपनी बड़ी बहन के पास दिल्ली चले आये। यही पर रहकर उन्होंने स्नातक की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से की। कॉलेज में पढ़ाई के समय ही वे कविता भी लिखा करते थे जो आगे चलकर उनके चलकर गीतकार बनने में सहायक सिद्ध हुई।
- वर्ष 1955 में उन्होंने कॅरियर की शुरूआत मुंबई रेलवे में लिपिक के तौर पर की। पर बावरा को यह नौकर ज्यादा दिन बांध न सकी क्योंकि उनको तो कुछ ओर ही करना था। इस कारण उन्होंने बाद में यह नौकरी छोड़ दी और अपना सारा ध्यान फिल्मों में कॅरियर बनाने में लगा दिया।
बॉलीवुड का सफर
- जब उनका मन क्लर्क की नौकरी में लगा ही नहीं तो वे बॉलीवुड में गीतकार के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए आ गये। फिल्म जगत में शुरूआत में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था। वे छोटे बजट की फिल्मों में काम करने को विवश थे। सिनेमा जगत में उनको पहला अवसर 1959 ई. में फिल्म 'चंद्रसेना' में मिला जिसके लिए पहला गीत लिखा। पर इससे उन्हें खास कामयाबी नहीं मिली।
- इस उतार—चढ़ाव के दौरान गुलशन की मुलाकात संगीतकार जोड़ी कल्याण जी, आनंद जी से हुई, फिर क्या उनके संगीत निर्देशन में उन्होंने फिल्म 'सट्टा बाजार' के लिये- 'तुम्हें याद होगा कभी हम मिले थे' गीत लिखा जिसे सुनकर फिल्म के वितरक शांतिभाई दबे काफी खुश हुए। दबे जी को उनके द्वारा लिख इस गीत पर विश्वास नहीं हुआ कि इतनी छोटी सी उम्र में कोई व्यक्ति इतना डूबकर लिख सकता है।
- फिर क्या था शांतिभाई ने ही उनको 'बावरा' के उपनाम से पुकारना शुरू कर दिया और पूरी फिल्म इंडस्ट्री उन्हें गुलशन मेहता के बजाय गुलशन बावरा के नाम से पुकारने लगी।
- लगभग आठ वर्षों तक गुलशन बावरा को मायानगरी में संघर्ष करना पड़ा था। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उनको संगीतकार जोड़ी कल्याण जी, आनंद जी के संगीत निर्देशन में निर्माता—निर्देशक मनोज कुमार की फिल्म 'उपकार' में गीत लिखने का मौका मिला। जब उन्होंने गीत 'मेरे देश की धरती सोना उगले...' गाकर सुनाया तो उन्हें मनोज कुमार ने गीत लिखने का मौका दिया और इस गीत की सफलता के बाद गुलशन बावरा ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
- वर्ष 1969 में फिल्म 'विश्वास' के लिए उन्होंने 'चांदी की दीवार न तोड़ी..' जैसे भावपूर्ण गीत लिखकर बता दिया कि वे किसी भी प्रकार के गीत लिख सकते हैं।
- बावरा जी ने कल्याणजी-आनंदजी के संगीत निर्देशन में 69 गीत लिखे वहीं आर॰ डी॰ बर्मन के साथ 150 गीत लिखे थे।
- उन्होंने फिल्म 'सनम तेरी कसम', 'अगर तुम न होते', 'सत्ते पे सत्ता', 'यह वादा रहा', 'हाथ की सफाई' और 'रफू चक्कर' को अपने गीतों से सजाया था।
- यही नहीं अपनी बहुमुखी प्रतिभा के कारण उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में भी कई फिल्मों में हाथ आजमाया है। इनमें प्रमुख है उपकार, विश्वास, जंजीर, पवित्र पापी, अगर तुम ना होते, बेइमान, बीवी हो तो ऐसी आदि। इसके अलावा पुकार और सत्ते पे सत्ता फिल्मों में पार्श्व गायन भी किया था।
दो फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिले
- गुलशन बावरा को सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्म 'उपकार' में 'मेरे देश की धरती' और फिल्म 'जंजीर' में 'यारी है ईमान मेरा' गीत के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था।
- गुलशन बावरा 7 वर्ष तक 'बोर्ड ऑफ इंडियन परफार्मिंग राइट सोसायटी' के निदेशक पद को भी सुशोभित कर चुक हैं।
निधन
- अपने द्वारा लिखे गीतों से श्रोताओं को आज भी गुनगुनाने के लिए मजबूर करने वाले गुलशन बावरा इस दुनिया को 7 अगस्त, 2009 को अलविदा कह गये।
उनके लिखे प्रमुख गाने:—
- दीवाने है दीवानों को (मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर)
- वदा कर ले सजना (लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी)
- खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे (आशा भोसले, किशोर कुमार)
- तुम्हें याद होगा कभी हम मिले थे (लता मंगेशकर, हेमंत कुमार)
- पीने वाले को पीने का बहाना (किशोर कुमार, हेमा मालिनी)
- तुम को मेरे दिल ने पुकारा (शैलेंदर सिंह, कंचन)
- हम ने तुम को देखा (शैलेंदर सिंह)
- मेरे देश की धरती (महेंद्र कपूर)
- एक मैं और एक तू (आशा भोसले, किशोर कुमार)
- जीवन के हर मोड़ पे मिल जायेंगे (किशोर कुमार, आशा भोसले)
- सपना मेरा टूट गया (आशा भोसले, आर.डी. बर्मन)
- यारी है ईमान मेरा (मन्ना डे)
- हमने जो देखे सपने सच हो गया (लता मंगेशकर, महेंद्र कपूर)
- किसी पे दिल अगर आ जाये तो (शैलेंदर सिंह, आशा भोसले)
- जहाँ डाल डाल पे (महेंद्र कपूर)